बुधवार, 12 अक्तूबर 2011

माजरा ये मोहब्बत

माजरा ये मोहब्बत, यारों, समझ से समझ आता है,
जब होती है मोहब्बत तब माज़रा ये समझ आता है,

बिन मोहब्बत किये, कईओं ने दीवाना समझा,
कितनों ने ताने दिए, कईओं ने बेगाना समझा,

पर वो मोहब्बत की गहराई जानता है, यारो,
उसने मोहब्बत निभायी है, यारो,

उसके किस्से मशहूर हुए ज़माने में,
हूर जो मिली उसे अनजाने में,

तन्हा होकर वक्त जो उसने बिताया,
इश्क ने एक दिन उसे नूर-ए-खुदा दिलाया,

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