मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

गले में

गले में हाथ था, लिपटी हुयी थी मुझसे,
फिर भी कहती है की, दूर थी तब तुझसे,
तो क्या वो सिमट जाना,
सरे आम लिपट जाना,
मेरे आगोश में आ जाना,
एक सिफ्कन थी, जाना,
माने दिल से तिल भर की दूरी थी,
आज पता चला, क्यूँ मुझसे दूरी थी,

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