चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
मंगलवार, 4 अक्तूबर 2011
जहान-ए-जबरूयिअत
जहान-ए-जबरूयिअत, खुनस्ती से इश्क हुआ क्यूँ कर,
अक्र-या-देय, हुन्फ्फर-ए-म्यकान, फिर छोड़ा क्यूँ कर,
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