मंगलवार, 4 अक्टूबर 2011

हंसिका मोटवानी - 1

हंसिका मोटवानी Hansika Motwaani

तू बहुत निखर गयी है, शबाब-ए-हुश्न से लद गयी है,
वक्त के साथ-साथ या खुदा कितनी सुन्दर हो गयी है,

क्या अदा है, मेरी जान, तुझ पर फब्ती है,
तेरी जुल्फों में, तेरी आखों में वो मस्ती है,

चड़ी हुई आखें, कुछ कह रही हैं,
वो यहाँ नहीं, किसी और मकाँ की खबर दे रही हैं,

इतनी निखर जाओगी, इतनी हसीन हो जाओगी,
सोचा न था ख्वाब में, यूँ ही सबको पसदं आओगी,

तेरे यूँ देखने से, तुझ पर फ़िदा हो गया,
तेरे बिना रहा नहीं जाता, ये क्या हो गया,

आय हाय, इस तरह से अगर यूँ ही हंस देगी,
खुदा कसम, अपनी किस्मत यूँ ही खोल देगी,
 

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