इन कल्पनाओं की,
उडान को,
किस डोर से,
मैं थामू,
अनंत आकाश के,
मन में,
इधर-उधर,
उड़ रहीं हैं,
रोकूँ तो,
कैसे रोकूँ,
रुक न,
रहीं हैं,
इस कल्पनाओं की...........
.
उडान को,
किस डोर से,
मैं थामू,
अनंत आकाश के,
मन में,
इधर-उधर,
उड़ रहीं हैं,
रोकूँ तो,
कैसे रोकूँ,
रुक न,
रहीं हैं,
इस कल्पनाओं की...........
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