रविवार, 2 अक्टूबर 2011

सज-सँवर


आज सज लूँ,
थोडा सँवर लूँ,
सोच रही हूँ,
कौन-सी साडी,
आज पहर लूँ,

लिपस्टिक कौन-सी,
टीका कौन-सा,
हार कौन-सा,
सेंडल कौन-सी,
आज पहर लूँ,

बाल भी धोएं हैं,
इन्हें सवारूँ,
या खुला ही,
छोड़ दूँ,

वक्त आने का,
हो रहा है उनका,
जी घबराने का,
हो रहा है मेरा,

जल्दी-जल्दी,
कर लूँ,
नहीं तो फिर,
ताने देंगे,

.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें