शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

कुछ कह

कुछ कह,
गयी वो,
देखते-देखते,
किनारा कर,
गयी वो,

पीछे-पीछे,
दीवाना मैं,
ढूढूं उसका,
ठिकाना मैं,

इस घनी बस्ती में,
कोई कैसे मिले,
पर हार न मान,
दिल जैसे मिले,

सुन धड़कन,
दिल की,
उसके दिल से,
बेतारी होगी,

दिल धड़केगा,
उसका,
धड़कन तेरे,
दिल में होगी,

सीध वही,
साध लेना,
घर उसका,
ढून्ढ लेना,

लगी बात सही,
धड़कन से धड़कन,
थोड़ी अब,
मिलने लगी,

चलते चले,
सामने के,
दालान में,
बैठी वो दिखी,

काम वो,
कर रही थी,
देख न,
इधर रही थी,


कदम ठिठके,
धीरे-से मुड़ा,
घर को आया,
चैन से सोया,


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