शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

कुछ तो लोग - 8



डॉ. आशुतोष मन ही मन में

वो हड़बड़ी में,
गड़बड़ी कर रहे थे,
कहना कुछ चाह रहे थे,
कह कुछ रहे थे,

इतनी मासूमियत से वो बोलते हैं,
उलझन में न जाने क्या-क्या बोलते हैं,
दिल में उल्फत-सी घोलते हैं,
उलझन में चैन-ओ-अमन खोजते हैं,

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