चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011
कुछ तो लोग - 4
डॉ. निधि वर्मा
नज़रें ढूंढ रहीं हैं उन्हें,
जिन्हें देखते ही दिल में,
उल्फत-सी हो जाती है,
रौशनी-सी मिल जाती है,
सामने ही आ गए हैं वो,
नज़रें न भांप पायें मेरी,
चेहरा छिपा लेती हूँ मैं,
देख ही न पायें मुझे वो,
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