चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
सोमवार, 22 अगस्त 2011
अब इंतज़ार
अब इंतज़ार हुश्न का नहीं करते,
जबसे एक बार दिल टूट गया,
यूँ बस बैठे रहते है,
कोई जबसे से छोड़कर गया,
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