चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शुक्रवार, 26 अगस्त 2011
नज़रें ताड़
नज़रें ताड़ लेती हैं सब,
जब जिस्म को भेद देती हैं,
कौन-सा दिल खली है,
यह सब जान लेती हैं,
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