चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
मंगलवार, 23 अगस्त 2011
इन चन्द
इन चन्द लम्हों को, तो जी लेने दो,
डूब जाने दो, इनमें समां जाने दो,
न बाहर निकालो, अब तो बहने दो,
यूँ जिन्दगी को अब, बीत जाने दो,
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