दर्द एक दीवाने का,
दिल को चीर जाता है,
जब कोई दीवाना,
यूँ पास से गुज़र जाता है,
रूह उसकी बता जाती है,
कोई बात कह जाती है,
किसी से पूछते भी नहीं है,
रूह की रूह जान जाती है,
पता नहीं उसकी, उसे मिलेगी की नहीं,
पता नहीं उसकी, रूह खिलेगी की नहीं,
बात पलट जाता है वह,
जब कोई टटोलता है उसे,
दिल उलट जाता है वह,
जब कोई मटोलता है उसे,
इस तरह वक्त बीत रहा है,
उसका दिल जीत रहा है,
चेहरे से नूर टपक रहा है,
मोहरा उसका खिल रहा है,
लगता है बात अब बन रही है,
आखें कुछ इशारा कर रही है,
दीवानगी को पार कर उसने,
इख्लायियत को पाया उसने,
.
दिल को चीर जाता है,
जब कोई दीवाना,
यूँ पास से गुज़र जाता है,
रूह उसकी बता जाती है,
कोई बात कह जाती है,
किसी से पूछते भी नहीं है,
रूह की रूह जान जाती है,
पता नहीं उसकी, उसे मिलेगी की नहीं,
पता नहीं उसकी, रूह खिलेगी की नहीं,
बात पलट जाता है वह,
जब कोई टटोलता है उसे,
दिल उलट जाता है वह,
जब कोई मटोलता है उसे,
इस तरह वक्त बीत रहा है,
उसका दिल जीत रहा है,
चेहरे से नूर टपक रहा है,
मोहरा उसका खिल रहा है,
लगता है बात अब बन रही है,
आखें कुछ इशारा कर रही है,
दीवानगी को पार कर उसने,
इख्लायियत को पाया उसने,
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें