मंगलवार, 23 अगस्त 2011

कल उसका

कल उसका फोन आया,
बड़े दिनों के बाद आया,
बड़ी दूर रहती है वो,
बड़ी मसरूफ रहती है वो,

मैं करता हूँ तो बहाना बनाती है,
बहुत मसरूफ हूँ ऐसा जताती है,
खुद की बात कहती है,
मेरी बात अनसुनी करती है,

बार-बार हेलो कहती है,
फोन पर फिर बात न करती है,

पर उसके उतने बोल,
कर जाते मीठा घोल,
यादें पुरानी ताज़ा हो जाती,
ऐसा लगता की वो रूबरू है बतियाती,

उसका हुश्न आज भी याद है,
फोटो न कोई मेरे पास है,
कितनी बदल गयी होगी,
पर रूह तो वही होगी,

उसकी बहुत-सी खूबियाँ हैं,
उसके बहुत-से सपने है,
हो जाएँ पूरी उसकी ख्वाईशें,
खुदा-से दुआ की हमने है,


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