उनसे मिलने पर क्या कहेंगे,
लफ्ज़ निकलेंगे, ओंठ कपेंगे,
रात है भीगी-भीगी-सी,
सुबह को तो होने दो,
अब बहुत जाग लिए हैं हम,
थोडा तो अब सोने दो,
तन्हाई में इस तरह से,
कुछ पल तो गुज़र जाने दो,
पलकों में गुज़रती हैं रातें,
अफसानों में दिन हैं गुज़रते,
ऐसे तो बहुत हैं जहाँ में,
रातों को करवटें बदलते,
.
लफ्ज़ निकलेंगे, ओंठ कपेंगे,
रात है भीगी-भीगी-सी,
सुबह को तो होने दो,
अब बहुत जाग लिए हैं हम,
थोडा तो अब सोने दो,
तन्हाई में इस तरह से,
कुछ पल तो गुज़र जाने दो,
पलकों में गुज़रती हैं रातें,
अफसानों में दिन हैं गुज़रते,
ऐसे तो बहुत हैं जहाँ में,
रातों को करवटें बदलते,
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