सगुफ्ता हुश्न को,
मानने वालों ने,
जिस्म को इतनी,
तवज्जो क्यूँ दी है,
गर रूह न होती,
जिस्म में,
यूँ रौशनी न होती,
किसी हुश्न में,
.
मानने वालों ने,
जिस्म को इतनी,
तवज्जो क्यूँ दी है,
गर रूह न होती,
जिस्म में,
यूँ रौशनी न होती,
किसी हुश्न में,
.
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