चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
बुधवार, 6 जुलाई 2011
बा खुदा
बा खुदा क्या हुश्न पाया है |
निगाहों को यूँ भरमाया है |
दिल में अरमा जगाया है |
तुझे पाने को ललचाया है |
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