गुरुवार, 7 जुलाई 2011

एक तोहफा - 1



सुगंधा मिश्रा को एक तोहफा
Sugandha Mishra

बा खुदा तुझे उसने आवाज़ से जो नवाज़ा |
खूबसूरत भी बनाया, अंदाज़ से भी नवाज़ा |
सोखी दी, सरगोशी भी दी, अदा से नवाज़ा |
निगाहों से आबाद किया, अदब से नवाज़ा || १ ||


तुझे हुश्न बक्शा खुदा ने और नजाकत भी दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है || २ ||

ए हुश्न तुझे किस पर नाज़ है |
तेरी आवाज़ भी लाज़वाब है |
बस प्यार की एक नज़र की दरकार है |
तुझे देखने का अरमा बेक़रार है || ३ ||

आवाज़ सुनी है तेरी, जबसे |
भूल गया आलम को, तबसे |
जहाँ में कहूं मैं ये, किससे |
तभी तो कह रहा हूँ, तुझसे || ४ ||

आवाज़ की खनक भी पायी है |
बेपनाह हुश्न भी पाया है |
शोखी और अदा भी पायी है |
तुम्हें तो खुदा ने बड़े नाज़ों से बनाया है || ५ ||

हर तरफ किस्से हैं, तेरी सोखी के, तेरी आवाज़ के |
तेरे हुश्न के और तेरी अदा के, तेरी अदावत के |
जमाना बात करता है, कि तू सबके दिल का हाल जान लेती है |
वक्त को तू पहचान लेती है, तभी तो तू सबको मान देती है |
ऐसी बात सभी में नहीं होती है, पर बात तेरी अनोखी है |
क्यूँकि खुदा ने तुझको, खूबसूरती और आवाज़ दोनों एक साथ बक्शी है || ६ ||

तेरे दीवानों में, एक मेरा भी नाम लिख ले |
दीवाना हूँ, दीवानगी का परवाना हूँ, चाहे तो परख ले |
कभी मुलाकात की तो, जुस्तजू पूरी होगी नहीं |
हम तो हैं बहुत दूर, और तू बहुत दूर होगी कहीं || ७ ||

पर तेरी आवाज़ और तेरी तस्वीर पास है मेरे |
ताउम्र, जिन्दगी गुज़ार लूँगा, उसी के सहारे |
आवाज़ तेरी, सब गम भुला देती है |
इस जहां से, किसी और जहाँ में पंहुचा देती है || ८ ||

तू गाती रहे, इसी तरह ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी खूबसूरती बनी रहे, ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी सूरत खूबसूरत है, पर तेरी सीरत उससे भी ज्यादा खूबसूरत है |
तेरे दिल के साफ़, आईने में, सब की दिल की बात नज़र आती है || ९ ||

सुन लेता हूँ तेरी आवाज़, काट लेता हूँ दिन और रात |
दोस्त पूछते, क्या है तेरी, बेतल्खी के राज़ की बात || १० ||

बहुत सुलझी हो और बहुत समझदार हो |
वक्त को पहचानती हो और बहुत मददगार हो || ११ ||


तेरी सोखी का, तेरी अदा का,
तेरी पैमाइश का, तेरी मुश्कान का,
तेरी फनकारी का,
दाद देता है जमाना |
तू महकती रहे, तू चहकती रहे,
तू खुसबू बिखेरती रहे,
तेरी आवाज़ की मिठास से प्यास बुझाता है जमाना || १२ ||



1 टिप्पणी:

  1. आपकी नज़र कुछ अर्ज़ किया है |
    आपने उसे पसंद किया है |

    गुस्ताखी माफ़ हो, दिल अपना साफ़ हो |
    इस तरह पेश आने की, सजा माफ़ हो |

    जवाब आया है आपका |
    दिल भर गया है जनाब का |

    आपने ये पसंद किया |
    दिल उसका रजामंद किया |

    सोचा था कहीं खफा तो न हो जायेंगे |
    मेरी इस करनी को खता तो न पायेंगे |
    पर दिल उनका बड़ा है |
    बडप्पन उनका बड़ा है |

    खुदा की नवाजिश उनपर हमेशा रहे |
    खुदा उनकी हर ख्वाइश हमेशा पूरी करे |

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