अब समझ में आया लड़कियां क्यूँ इस कदर पैसे की दीवानी हैं |
उनको लगता हैं की, बिन पैसे इस दुनिया में वे अनजानी हैं |
गुरुवार, 30 जून 2011
तू गाती
तू गाती रहे, इसी तरह ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी खूबसूरती बनी रहे, ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी सूरत खूबसूरत है, पर तेरी सीरत उससे भी ज्यादा खूबसूरत है |
तेरे दिल के साफ़, आईने में, सब की दिल की बात नज़र आती है |
तेरी खूबसूरती बनी रहे, ये दुआ करता हूँ खुदा से |
तेरी सूरत खूबसूरत है, पर तेरी सीरत उससे भी ज्यादा खूबसूरत है |
तेरे दिल के साफ़, आईने में, सब की दिल की बात नज़र आती है |
तेरी आवाज़
पर तेरी आवाज़ और तेरी तस्वीर पास है मेरे |
ताउम्र, जिन्दगी गुज़ार लूँगा, उसी के सहारे |
आवाज़ तेरी, सब गम भुला देती है |
इस जहां से, किसी और जहाँ में पंहुचा देती है |
ताउम्र, जिन्दगी गुज़ार लूँगा, उसी के सहारे |
आवाज़ तेरी, सब गम भुला देती है |
इस जहां से, किसी और जहाँ में पंहुचा देती है |
तेरे दीवानों
तेरे दीवानों में, एक मेरा भी नाम लिख ले |
दीवाना हूँ, दीवानगी का परवाना हूँ, चाहे तो परख ले |
कभी मुलाकात की तो, जुस्तजू पूरी होगी नहीं |
हम तो हैं बहुत दूर, और तू बहुत दूर होगी कहीं |
दीवाना हूँ, दीवानगी का परवाना हूँ, चाहे तो परख ले |
कभी मुलाकात की तो, जुस्तजू पूरी होगी नहीं |
हम तो हैं बहुत दूर, और तू बहुत दूर होगी कहीं |
आ मौज
बरबस ये हुश्न है, ये जवानी है |
तू ताकीद न कर, ये रवानी है |
फ़क्त दिल में उतरी, दीवानी है |
आ मौज कर ले, मस्तानी है |
तू ताकीद न कर, ये रवानी है |
फ़क्त दिल में उतरी, दीवानी है |
आ मौज कर ले, मस्तानी है |
तेरी खूबसूरती
न पूछ तुझे किस तरह का बेपनाह हुश्न मिला है |
तेरी खूबसूरती को लगता, खुदा का ही हाथ लगा है |
तेरी खूबसूरती को लगता, खुदा का ही हाथ लगा है |
तस्वीर देखकर
अदा ये हुश्न की, देखि जो इस तरह |
फ़िदा हो गए, हुश्न पर सब तरह |
गुमान फिर भी न रहा, अपनी औकात का |
तस्वीर देखकर ही कर ली, तसल्ली तौकात का |
फ़िदा हो गए, हुश्न पर सब तरह |
गुमान फिर भी न रहा, अपनी औकात का |
तस्वीर देखकर ही कर ली, तसल्ली तौकात का |
तू कमाल
हाय, मर गए, मिट गए, तेरी इस अदा पर फ़िदा हो गए |
सही में तू कमाल करती है, अपनी खूबसूरती का ख्याल करती है |
तेरी आखों की इन मदहोशी में खो गए |
तेरी इस अदा में अपने होश खो गए |
बार-बार निहारने को तुझे जी चाहता है |
अपनी आखों से दिल में उतार लेने को जी चाहता है |
सही में तू कमाल करती है, अपनी खूबसूरती का ख्याल करती है |
तेरी आखों की इन मदहोशी में खो गए |
तेरी इस अदा में अपने होश खो गए |
बार-बार निहारने को तुझे जी चाहता है |
अपनी आखों से दिल में उतार लेने को जी चाहता है |
बुधवार, 29 जून 2011
तेरी सोखी
वाह, तेरी सोखी बहुत भाति है |
वाह, तू अदाकारी क्या निभाती है |
वाह, तू हुश्न क्या बरपाती है |
वाह, तू क्या भरमाती है |
वाह, तू अदाकारी क्या निभाती है |
वाह, तू हुश्न क्या बरपाती है |
वाह, तू क्या भरमाती है |
तेरे बेपनाह
तेरे बेपनाह हुश्न की तारीफ़ करता हूँ |
तेरे अंदाज़े बयां की तारीफ़ करता हूँ |
तेरी सादगी की तारीफ़ करता हूँ |
तेरी अदायगी की तारीफ़ करता हूँ |
तेरे अंदाज़े बयां की तारीफ़ करता हूँ |
तेरी सादगी की तारीफ़ करता हूँ |
तेरी अदायगी की तारीफ़ करता हूँ |
कहानी कुछ
कहानी कुछ जानी पहचानी सी लगती है |
कहानी कुछ बनाने वाली की लगती है |
कहानी कुछ एक की दो किरदारों में लगती है |
कहानी कुछ प्रिया और नताशा की लगती है |
कहानी कुछ जानी पहचानी सी लगती है |
कहानी कुछ प्रिय के त्याग की लगती है |
कहानी कुछ नताशा के गुरुर की लगती है |
कहानी कुछ एकता की दोनों में लगती है |
कहानी कुछ बनाने वाली की लगती है |
कहानी कुछ एक की दो किरदारों में लगती है |
कहानी कुछ प्रिया और नताशा की लगती है |
कहानी कुछ जानी पहचानी सी लगती है |
कहानी कुछ प्रिय के त्याग की लगती है |
कहानी कुछ नताशा के गुरुर की लगती है |
कहानी कुछ एकता की दोनों में लगती है |
दुनिया क्या
है प्यार तो कुछ न सोच की दुनिया क्या कहती है |
नहीं है अगर प्यार तो सुन दुनिया क्या कहती है |
हर पल इस
हर पल इस जिन्दगी का, कट जाता है अब, तेरी यादों के सहारे |
हर लम्हा जी लेता हूँ, वक्त गुज़र जाता है, तेरी यादों के सहारे |
मजार पे
मजार पे मेरी, फूल मोहब्बत के, चड़ा देना |
प्यार किया है मुझसे, एक बार, चली आना |
आंसू न रोना, दिल अपना न खोना |
देखकर कबर मेरी, बिलकुल न रोना |
खुदा हसीनों
खुदा हसीनों को हुश्न देता है, तो गुरुर क्यूँ देता है |
पल में कुछ होती है, पल में कुछ और हो जाती है |
पल में कुछ होती है, पल में कुछ और हो जाती है |
मोहब्बत तो
मोहब्बत तो उससे होती है, जिससे नज़रें दो चार होती हैं |
जहन में उतर जाता है वो, मुलाकातों की शुरुवात होती है |
जहन में उतर जाता है वो, मुलाकातों की शुरुवात होती है |
बेरहम वक्त
बेरहम वक्त जुदा कर देता है, यादों के सहारे जीना है अब |
इस जिन्दगी का मकसद, तुझे फिर से अपनाना है तब |
यूँ घूर
यूँ घूर कर जो देखा तुमने |
यूँ ओंठों को चबाया तुमने |
यूँ अपने को सजाया तुमने |
यूँ दिल को हिलाया तुमने |
यूँ ओंठों को चबाया तुमने |
यूँ अपने को सजाया तुमने |
यूँ दिल को हिलाया तुमने |
गुरुर है हुश्न
गुरुर है हुश्न का, या फिर तुफ्र है जूनून का |
कभी जिन्दगी में, मिला नहीं सुकून का |
फितरत है तेरी बदल-बदल कर आजमाने की |
अब न कर यह गलती, इसे दुबारा दोहराने की |
कभी जिन्दगी में, मिला नहीं सुकून का |
फितरत है तेरी बदल-बदल कर आजमाने की |
अब न कर यह गलती, इसे दुबारा दोहराने की |
तुम्हारी नजर
तुम्हारी नजर क़त्ल करती है |
तुम्हारी मुस्कराहट क़त्ल करती है |
तुम्हारी अदा क़त्ल करती है |
इतनी बड़ी बात पल्ले न पड़ती है |
तुम्हारी मुस्कराहट क़त्ल करती है |
तुम्हारी अदा क़त्ल करती है |
इतनी बड़ी बात पल्ले न पड़ती है |
राहें बिछड़
राहें बिछड़ जाती हैं, मंजिले बदल जाती हैं |
चलते हैं जब जिन्दगी में, तनहायियाँ रह जाती हैं |
आखें मेरी
आखें मेरी, तेरा आईना है, देख अपनी तस्वीर इसमें |
पल-पल पलकें भी न झपकेंगी, समाँ जायेगी इसमें |
बस बात इंतज़ार
न समझ की नागवार गुजरी जिन्दगी, न कुछ मिला है |
वक्त पर मिल जाता है मकाँ, बस बात इंतज़ार की है |
सोमवार, 27 जून 2011
किया वादा
किया वादा जब प्यार का, फिर क्यूँ मुकर गए तुम |
हाल दिल का अपना सुनाया, क्यूँ बिफर गए तुम |
जानिब यह तो प्यार है, इसे क्या समझोगे तुम |
मोहब्बत में तेरी, सारा वक्त हम रहते हैं गुम |
तेरी मुशकुराहट
तेरी मुशकुराहट और तेरी आखें, बात कुछ कह रहीं हैं |
तेर ओंठ और तेरी जुल्फें, बात कुछ कह रहीं हैं |
तेरा गठीला बदन और तेरे गालों की शोखी बात कुछ कह रही हैं |
तुझे नज़र न लग जाए, किसी की, शायद बात ये कुछ कह रहीं हैं |
तू आरजू
तू आरजू है दिल की, तू जुबान है दिल की |
तू धड़कन है दिल की, तू अंजुमन है दिल की |
तुझे देखे बिना, धडकता नहीं दिल मेरा |
तू दूर है तो क्या, तेरी तस्वीर से बसा दिल मेरा |
तू धड़कन है दिल की, तू अंजुमन है दिल की |
तुझे देखे बिना, धडकता नहीं दिल मेरा |
तू दूर है तो क्या, तेरी तस्वीर से बसा दिल मेरा |
सबके दिल
हर तरफ किस्से हैं, तेरी सोखी के, तेरी आवाज़ के |
तेरे हुश्न के और तेरी अदा के, तेरी अदावत के |
जमाना बात करता है, कि तू सबके दिल का हाल जान लेती है |
वक्त को तू पहचान लेती है, तभी तो तू सबको मान देती है |
ऐसी बात सभी में नहीं होती है, पर बात तेरी अनोखी है |
क्यूँकि खुदा ने तुझको, खूबसूरती और आवाज़ दोनों एक साथ बक्शी है |
तेरे हुश्न के और तेरी अदा के, तेरी अदावत के |
जमाना बात करता है, कि तू सबके दिल का हाल जान लेती है |
वक्त को तू पहचान लेती है, तभी तो तू सबको मान देती है |
ऐसी बात सभी में नहीं होती है, पर बात तेरी अनोखी है |
क्यूँकि खुदा ने तुझको, खूबसूरती और आवाज़ दोनों एक साथ बक्शी है |
इस तरह
इस तरह तू मुझे न देख, मुझे तुझसे लगता है डर |
बात सिर्फ इतनी सी नहीं है, दिल का तो तू है समंदर |
पर तेरी आवाज़ और तेरे अंदाज़ से मुझे लगता है डर |
इज़हार तो करना चाहता हूँ, अपने दिल का मन्ज़र |
बात सिर्फ इतनी सी नहीं है, दिल का तो तू है समंदर |
पर तेरी आवाज़ और तेरे अंदाज़ से मुझे लगता है डर |
इज़हार तो करना चाहता हूँ, अपने दिल का मन्ज़र |
चन्द लम्हों
चन्द लम्हों कि तो बात है, बस तेरा थोडा-सा तो साथ है |
माकूल जिन्दगी की बात है, हुश्न जो तेरा मेरे साथ है |
एक अंजुमन
एक अंजुमन, इतनी उल्फत हो गयी है, तुझसे |
तेरा बिना अब रहा नहीं जाता, दूर न जा मुझसे |
जानिब तेरे जमाना खड़ा है, मैं तो अकेला हूँ प्यार कर मुझसे |
आगाज़ कर रहा हूँ, अपने दिल का हाल कह रहा हूँ तुझसे |
उल्फत हुई
उल्फत हुई तुमसे |
मुहब्बत हुई तुमसे |
जीने का अंदाज़ आया तुमसे |
न किया कुछ बिना जाने तुमसे |
ये शोखियाँ
ये शोखियाँ, ये अदाएं |
ये मुरब्बत, ये सौदाएं |
मगरिब कि जानिब तो जाएं |
तु बता जिन्दगी कहाँ जाएं |
रविवार, 26 जून 2011
कुछ सुनने
कुछ सुनने, कुछ गुनगुनाने आये हैं |
जिन्दगी में गम बहुत हैं,
गम भुलाने आये हैं |
कुछ सुनने, कुछ गुनगुनाने आये हैं |
जिन्दगी में गम बहुत हैं,
गम भुलाने आये हैं |
कुछ सुनने, कुछ गुनगुनाने आये हैं |
तेरी मौशिकी
तेरी मौशिकी में, तेरी बज़्म में |
कुछ नज्म, कुछ ग़ज़ल, पेश करता हूँ |
इस बहाने से, तुझे मोहब्बत का |
पैगाम पेश करता हूँ |
कुछ नज्म, कुछ ग़ज़ल, पेश करता हूँ |
इस बहाने से, तुझे मोहब्बत का |
पैगाम पेश करता हूँ |
गुरुरे हुश्न
गुरुरे हुश्न, मैं तुझे ताकीद न कर पाया |
देखता रहा तुझे, तस्लीम न कर पाया |
खता माफ़ हो, या सजा दे दो |
पर नज़र न हटे तुझसे, ऐसी जगह दे दो |
मायने जिन्दगी
मायने जिन्दगी के तुमने बदल दिए हैं, बेपनाह हुश्न जो तुमने पाया है |
जिन्दगी कि भी अब खबर नहीं, जबसे तुमको इन तस्वीरों में देख पाया है |
जिन्दगी कि भी अब खबर नहीं, जबसे तुमको इन तस्वीरों में देख पाया है |
नागवार गुजरी
नागवार गुजरी जिन्दगी, तेरा दीदार न कर पाया |
तुझे तस्वीरों में तो देखा है, पर अभी सामने न देख पाया
तुझे तस्वीरों में तो देखा है, पर अभी सामने न देख पाया
बजिबे खातून
बजिबे खातून, तुझे ख़त लिखता रहा |
जवाब न तेरा आया, पर मैं लिखता रहा |
स्याह हो गयी जिन्दगी, स्याही से |
तू एक जवाब दे दे, रोशनाई से |
जवाब न तेरा आया, पर मैं लिखता रहा |
स्याह हो गयी जिन्दगी, स्याही से |
तू एक जवाब दे दे, रोशनाई से |
तेरे नखरे
तेरे नखरे और नाज़ उठा सकता हूँ |
तू न माने, तुझे अपनी बना सकता हूँ |
ये जो तेरा गुरुर है, तेरे हुश्न का नूर है |
इसी में तू अच्छी लगती है, ऐसी ही तू मुझे कबूल है |
इतनी सफाई
इतनी सफाई से केश को सोल्व करती हो |
की किसी को भी भनक नहीं लगने देती हो |
रुसवा नहीं होता कोई, ऐसा इन्साफ दिलाती हो |
अंदाज़ तुम्हारा निराला है, सबसे बड़े सलीके से पेश आती हो |
आवाज़ की
आवाज़ की खनक भी पायी है |
बेपनाह हुश्न भी पाया है |
शोखी और अदा भी पायी है |
तुम्हें तो खुदा ने बड़े नाज़ों से बनाया है |
बेपनाह हुश्न भी पाया है |
शोखी और अदा भी पायी है |
तुम्हें तो खुदा ने बड़े नाज़ों से बनाया है |
नसाफत की
नसाफत की जिन्दगी से मुरब्बत की बात नहीं होती |
दीदार तो हो जाता है पर तुझसे मुलाकात नहीं होती |
रफत इश्क
रफत इश्क जब दिल में खिल जाता है |
खुशबू अपने आप सब तरफ फ़ैल जाती है |
लोगों को बताना नहीं पड़ता है |
बात अपने आप पता चल जाती है |
खुशबू अपने आप सब तरफ फ़ैल जाती है |
लोगों को बताना नहीं पड़ता है |
बात अपने आप पता चल जाती है |
ख्वाबों कि
ख्वाबों कि मल्लिका का ख़िताब तुझे मैंने दिया |
तेरी खूबसूरती तेरी अदा का हक़ मैंने अदा किया |
तुझे ग़रूर नहीं है तेरे हुश्न का यह मैंने कह दिया |
तू झांकती है दिल के अन्दर मैंने महसूश किया |
तेरी खूबसूरती तेरी अदा का हक़ मैंने अदा किया |
तुझे ग़रूर नहीं है तेरे हुश्न का यह मैंने कह दिया |
तू झांकती है दिल के अन्दर मैंने महसूश किया |
जुल्फों के
जुल्फों के इस साए में समां जाने को जी चाहता है |
आखों कि इस सोखी में समां जाने को जी चाहता है |
तेरी इस अदा पर मर मिटने को जी चाहता है |
तेरी मुस्कराहट में बस जाने को जी चाहता है |
आखों कि इस सोखी में समां जाने को जी चाहता है |
तेरी इस अदा पर मर मिटने को जी चाहता है |
तेरी मुस्कराहट में बस जाने को जी चाहता है |
कत्रीना ये
कत्रीना ये तेरा हुश्न है कि, आखों को ताजगी देता |
तेरी खूबसूरती का आलम दिल को सुकून देता |
तेरी खूबसूरती का आलम दिल को सुकून देता |
कुछ होश
कुछ होश नहीं है, जिन्दगी का अब तस्वुर में तेरे |
वक्त कट जाता है, तेरी चन्द तस्वीरों के सहारे |
वक्त कट जाता है, तेरी चन्द तस्वीरों के सहारे |
सतयुग में
सतयुग में विश्वामित्र कि तपस्या मेनका ने भंग कि |
कलियुग में तपस्या ने मेरी तपस्या भंग की |
कलियुग में तपस्या ने मेरी तपस्या भंग की |
शुक्रवार, 24 जून 2011
आवाज़ सुनी
आवाज़ सुनी है तेरी, जबसे |
भूल गया आलम को, तबसे |
जहाँ में कहूं मैं ये, किससे |
तभी तो कह रहा हूँ, तुझसे |
भूल गया आलम को, तबसे |
जहाँ में कहूं मैं ये, किससे |
तभी तो कह रहा हूँ, तुझसे |
तेरे शफा
तेरी अदा का तेरी अदाकारी का दीवाना हूँ |
तेरे नाज़ का तेरी नजाकत का दीवाना हूँ |
तेरे हुश्न का तेरी खूबसूरती का दीवाना हूँ |
तेरे शफा का तेरी शराफत का दीवाना हूँ |
तेरे नाज़ का तेरी नजाकत का दीवाना हूँ |
तेरे हुश्न का तेरी खूबसूरती का दीवाना हूँ |
तेरे शफा का तेरी शराफत का दीवाना हूँ |
हसीनाओं के नखरे
हसीनाओं के नखरे उठाना, हर किसी कि बात नहीं है |
ये क़त्ल भी करती हैं, फिर पानी भी पूछती हैं |
ये तडपती है, फिर हाल भी पूछती हैं |
यह जुल्म भी करती हैं, फिर मुलाज़मत भी करती हैं |
ये क़त्ल भी करती हैं, फिर पानी भी पूछती हैं |
ये तडपती है, फिर हाल भी पूछती हैं |
यह जुल्म भी करती हैं, फिर मुलाज़मत भी करती हैं |
हंसी ठिठोली
हंसी ठिठोली, यह चुलबुलाहट |
देती है, तेरे आने कि आहट |
आस लगा कर बैठें हैं तेरी चौखट |
थाम रहे हैं, अपने दिल कि बौखलाहट |
देती है, तेरे आने कि आहट |
आस लगा कर बैठें हैं तेरी चौखट |
थाम रहे हैं, अपने दिल कि बौखलाहट |
सरे बाज़ार
सरे बाज़ार यूँ न चल बे परदा कर अपने हुश्न को |
देखने वाले बहुत, और लूटने वाले भी हैं तेरे हुश्न को |
देखने वाले बहुत, और लूटने वाले भी हैं तेरे हुश्न को |
छुरियां चल
छुरियां चल जाती हैं, सरे बाज़ार तेरे हुश्न कि खातिर |
दोस्तों मैं भी जंग, छिड जाती है तेरे हुश्न कि खातिर |
तेरे हुश्न पर जवानी इस कदर छाई है |
तू बस मेरे लिए ही इस दुनिय में आयी है |
Churiyaan Chal Jaati Hain, Sare Baazar Tere Hushn Ki Khatir,
Doston Main Bhi Jang, Chhid Jaati Hai, Tere Hushn Ki Khatir,
.
दोस्तों मैं भी जंग, छिड जाती है तेरे हुश्न कि खातिर |
तेरे हुश्न पर जवानी इस कदर छाई है |
तू बस मेरे लिए ही इस दुनिय में आयी है |
Churiyaan Chal Jaati Hain, Sare Baazar Tere Hushn Ki Khatir,
Doston Main Bhi Jang, Chhid Jaati Hai, Tere Hushn Ki Khatir,
.
अगर वक्त
अगर वक्त है, तफसील से अपनी कहाँ सुनाता हूँ |
सुनती जा, तुझे अपनी वफाओं कि बेवफाई सुनाता हूँ |
सुनती जा, तुझे अपनी वफाओं कि बेवफाई सुनाता हूँ |
खुश है जमाना
खुश है जमाना तेरे दीदार से, क्यूँ तू छिपा रही है अपने हुश्न को |
दुआयें देंगे तुझको, नज़रों से गुज़र जाने दे ज़माने कि अपने हुश्न को |
Khush Hai Jamana Tere Deedar Se, Kyun Tu Chipaa Rahi Hai Apne Husn Ko,
Duayein Denge Tujhko, Nazron Se Guzar Jaane De Jamane Ki Apne Hushn Ko,
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दुआयें देंगे तुझको, नज़रों से गुज़र जाने दे ज़माने कि अपने हुश्न को |
Khush Hai Jamana Tere Deedar Se, Kyun Tu Chipaa Rahi Hai Apne Husn Ko,
Duayein Denge Tujhko, Nazron Se Guzar Jaane De Jamane Ki Apne Hushn Ko,
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फलसफा-ए-हुश्न का
फलसफा-ए-हुश्न का, तेरे अफसाने से शुरू होगा |
तू ख़ूबसूरत इतनी है, कि जमाना तेरे हुश्न का कायल होगा |
उसपर तेरी सोखी का आलम इस कदर समां गया है |
तू महफूज़ रहे, तेरे भीतर खुदा का नूर समां गया है |
तू ख़ूबसूरत इतनी है, कि जमाना तेरे हुश्न का कायल होगा |
उसपर तेरी सोखी का आलम इस कदर समां गया है |
तू महफूज़ रहे, तेरे भीतर खुदा का नूर समां गया है |
मुर्बते हुश्न
मुर्बते हुश्न कि तेरे दायरे से न निकल पायेंगे |
मर जायेंगे, मिट जायेंगे, तुझे खुश कर जायेंगे |
मर जायेंगे, मिट जायेंगे, तुझे खुश कर जायेंगे |
ए हुश्न
ए हुश्न तुझे किस पर नाज़ है,
तेरी आवाज़ भी लाज़वाब है,
बस प्यार की एक नज़र की दरकार है,
तुझे देखने का अरमा बेक़रार है,
E Hushn Tujhe Kis Par Naaz Hai,
Teri Aawaz Bhi Lazwab Hai,
Bas Pyar Ki Nazar Ki Ek Darkaar Hai,
Tujhe Dekhne Ka Arma Bekrar Hai,
.
तेरी आवाज़ भी लाज़वाब है,
बस प्यार की एक नज़र की दरकार है,
तुझे देखने का अरमा बेक़रार है,
E Hushn Tujhe Kis Par Naaz Hai,
Teri Aawaz Bhi Lazwab Hai,
Bas Pyar Ki Nazar Ki Ek Darkaar Hai,
Tujhe Dekhne Ka Arma Bekrar Hai,
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तेरी शोखियाँ
तेरी शोखियाँ, ये तेरी नज़रें,
हसिनायों को भी जला देती हैं,
तेरी लटें, ये तेरी हंसी,
मुझको एक सुकून दे जाती है,
Teri Shokhiyaan, Ye Teri Nazren,हसिनायों को भी जला देती हैं,
तेरी लटें, ये तेरी हंसी,
मुझको एक सुकून दे जाती है,
Hasinaon Ko Bhi Jala Deti Hai,
Teri Laten, Ye Teri Hansi,
Mujhko Ek Sukoon De Jaati Hain,
.
गुरुवार, 23 जून 2011
tujhe bahut
tujhe bahut yad kiya, tere aur apne bete hue lamhon ko sahej kar rakha hai. bas unhi ke sahare apna vakt guzar raha hoon.
tujhe dekhe
tujhe dekhe jamana ho gaya, mastane se tera deewana ho gaya. pal pal teri yaad mein, dar-dar bhatkane wala begana ho gaya.
aina dekha
aina dekha subah, to yad aya ki teri yad mein rat bhar so n saka. tu dikhi subah, to aisa
laga ki teri halat ko byan n kar saka
laga ki teri halat ko byan n kar saka
bahut vakt
bahut vakt beet gaya, tera deedar abhi tak na hua. tu kuch to is tarah kar, ki mere aakho
n ko bhi sukon kile.
n ko bhi sukon kile.
anjuman mein
anjuman mein tere, gul to bahut khile hain. pyar tu hamse kar le, gul ham bhi khile sakte
hain
hain
Bepanah mohabat
Bepanah mohabat thi, beshumar pyar tha. hua kuch is tarah, ki dil millne ko bekarar tha.
mohbat meherbani
mohbat meherbani ki takid nahi hoti, kyunki isme mehar ki rakam mausud nahi ho
ti. gar mohbat ko pana hai, to jindgi ko hi dao par lagana hai
ti. gar mohbat ko pana hai, to jindgi ko hi dao par lagana hai
chaman me
chaman me tere fool khile, mahak mere ghar tak aayee. dil ne tere yaad kiya, vibration me
re dil tak aayee
re dil tak aayee
बुधवार, 22 जून 2011
वक्त कि फितरत
वक्त कि फितरत है, कि तू मुझसे दूर है |
तेरा इक दीवाना, तेरे दिल के करीब है |
बातें होती हैं, रोज़ ख्वाबों में मुलाकातें होती हैं |
हाल-चाल पुछा जाता है, हंसी-ठिठोली होती है |
आपकी आवाज़
आपकी आवाज़ को सुनकर अपने कानो को सुकून देता हूँ |
आपकी अदावत को देखकर अपने आखों को सुकून देता हूँ |
मिठासी बोली
सरस्वती का वास है आपके कंठ में |
मिठासी बोली रस घोलती है कानों में |
समय का अनुमान नहीं रहता जब आप होते हो आजतक पर |
ऐसा लगता है की अभी-अभी आये हो और अब इतनी जल्दी क्यूँ जा रहे हो |
आपकी प्रस्तुति
आपकी प्रस्तुति का ढंग निराला है |
भगवान् ने इसीलिए आपको ढाला है |
सारे ज़माने के प्रस्तोता देख लिए हमने |
पर आपके जैसे और कोई न मिला ज़माने में |
नजाकत भी
तुझे हुश्न बक्शा खुदा ने और नजाकत भी दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है |
तेरी सोखी
तेरी सोखी का तेरी अदा का तेरी पैमाइश का तेरी मुस्कान का तेरी फनकारी का दाद देता है जमाना |
तू महकती रहे तू चहकती रहे तू खुसबू बिखेरती रहे तेरी आवाज़ की मिठास से प्यास बुझाता है जमाना |
नाज़ुक बदन
हाय यह तेरा नाज़ुक बदन |
आखों की सोखियों का चमन |
लहराती जुल्फों का दामन |
मदमस्त जावानी की उफन |
आखों की सोखियों का चमन |
लहराती जुल्फों का दामन |
मदमस्त जावानी की उफन |
रब यह
रब यह कैसी नजाकत है |
रब यह कैसी हुश्न परि है |
रब यह कैसी तुफ्लिश है |
रब यह कैसी मोहब्बत है |
रब यह कैसी हुश्न परि है |
रब यह कैसी तुफ्लिश है |
रब यह कैसी मोहब्बत है |
सौफदाई तेरी
सौफदाई तेरी आखों की गुज़र गयी दिल के आर-पार |
बेपनाह हुश्न की मलिका आवाज़ तो सुना दे एक बार |
बेपनाह हुश्न की मलिका आवाज़ तो सुना दे एक बार |
मंज़र-ए-हुश्न
मंज़र-ए-हुश्न का तू दरिया है |
डूब भी जाऊं तो मेरा फायदा है |
इश्क का भूत चढ़ गया है |
अब तेरे बिना रहा न गया है |
डूब भी जाऊं तो मेरा फायदा है |
इश्क का भूत चढ़ गया है |
अब तेरे बिना रहा न गया है |
तेरे घने
तेरे घने बालों की कसम तुझपर यह फबते हैं |
तुझे देखकर लोग तभी तो फब्तियां कसते हैं |
बुरा न मान मैं तो तुझे मान दे रहा हूँ |
तेरे फन को और एक फैन दे रहा हूँ |
कदर चमका
तेरे लट्ठ पन ने तुझे एक मुकाम दिला दिया |
तुझे सारे ज़माने में इस कदर चमका दिया |
तेरी अक्ल की दाद देता है यह जमाना |
चंद्रमुखी चौटाला का भी है एक फ़साना |
तसबुर तेरे
तसबुर तेरे हुस्न का माजी समझ न पाया |
क़िबला तेरे आशिक को ये माजरा न आया |
फनास्तुस की जिन्दगी का राज़ कुछ न पाया |
महबूबे हरम में आज में घुस न पाया |
आखों को सुकून
आपकी आवाज़ को सुनकर अपने कानो को सुकून देता हूँ |
आपकी अदावत को देखकर अपने आखों को सुकून देता हूँ |
नूर समां
फलसफा-ए-हुश्न का, तेरे अफसाने से शुरू होगा |
तू ख़ूबसूरत इतनी है, कि जमाना तेरे हुश्न का कायल होगा |
उसपर तेरी सोखी का आलम इस कदर समां गया है |
तू महफूज़ रहे, तेरे भीतर खुदा का नूर समां गया है |
रोज़ ख्वाबों
ये वक्त कि फितरत है, कि तू मुझसे दूर है |
तेरा इक दीवाना, तेरे दिल के करीब है |
बातें होती हैं, रोज़ ख्वाबों में मुलाकातें होती हैं |
हाल-चाल पुछा जाता है, हंसी-ठिठोली होती है |
तारुफ़ हुआ
तारुफ़ हुआ तेरा खुदा से, यह जानकार दिल को सुकून मिला |
हमको न सही, किसी और को तो खुदा का नूर मिला |
हमको न सही, किसी और को तो खुदा का नूर मिला |
सोमवार, 20 जून 2011
तुझे हुश्न
तुझे हुश्न बक्शा खुदा ने और नजाकत भी दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है |
तेरी सोखी
तेरी सोखी का तेरी अदा का तेरी पैमाइश का तेरी मुस्कान का तेरी फनकारी का दाद देता है जमाना |
तू महकती रहे तू चहकती रहे तू खुसबू बिखेरती रहे तेरी आवाज़ की मिठास से प्यास बुझाता है जमाना |
तू महकती रहे तू चहकती रहे तू खुसबू बिखेरती रहे तेरी आवाज़ की मिठास से प्यास बुझाता है जमाना |
नाज़ुक बदन
हाय यह तेरा नाज़ुक बदन |
आखों की सोखियों का चमन |
लहराती जुल्फों का दामन |
मदमस्त जावानी की उफन |
आखों की सोखियों का चमन |
लहराती जुल्फों का दामन |
मदमस्त जावानी की उफन |
तुफ्लिश है
रब यह कैसी नजाकत है |
रब यह कैसी हुश्न परि है |
रब यह कैसी तुफ्लिश है |
रब यह कैसी मोहब्बत है |
रब यह कैसी हुश्न परि है |
रब यह कैसी तुफ्लिश है |
रब यह कैसी मोहब्बत है |
मंज़र-ए-हुश्न
मंज़र-ए-हुश्न का तू दरिया है |
डूब भी जाऊं तो मेरा फायदा है |
इश्क का भूत चढ़ गया है |
अब तेरे बिना रहा न गया है |
डूब भी जाऊं तो मेरा फायदा है |
इश्क का भूत चढ़ गया है |
अब तेरे बिना रहा न गया है |
किब्लाये हुश्न
किब्लाये हुश्न तेरा बेपनाह निखर कर आया है |
नज़र न लगे किसी की ढक ले इसको तो ज़रा ||
हैं घूमते हुश्न के चोर हैं यहाँ, बहुत नहीं तो जरा |
चुराकर कब ले जायेंगे, तुझे ख्याल भी आया है || ४ ||
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नज़र न लगे किसी की ढक ले इसको तो ज़रा ||
हैं घूमते हुश्न के चोर हैं यहाँ, बहुत नहीं तो जरा |
चुराकर कब ले जायेंगे, तुझे ख्याल भी आया है || ४ ||
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रविवार, 19 जून 2011
तुझे देखने
सौफाके मुफ्त मुनज्ज़र वक्त न मिला तुझसे मिलने का |
नुशफरत नुमानी मुन्तज़र एक बार हुआ तुझे देखने का |
नुशफरत नुमानी मुन्तज़र एक बार हुआ तुझे देखने का |
बेपनाह हुश्न
सौफदाई तेरी आखों की गुज़र गयी दिल के आर-पार |
बेपनाह हुश्न की मलिका आवाज़ तो सुना दे एक बार |
बेपनाह हुश्न की मलिका आवाज़ तो सुना दे एक बार |
मक्बूले हुश्न
तुफ्लिसे वक्त की अंजुमन में न हम इस तरह रुक सके |
फैजाई हो गया मंज़र मक्बूले हुश्न का इन्तखाब न कर सके |
फैजाई हो गया मंज़र मक्बूले हुश्न का इन्तखाब न कर सके |
शुक्रवार, 17 जून 2011
ख्याल भी
नस्तर उतार दिया दिल में उसने इस तरह जालिम बनकर |
ख्याल भी न रखा की जिन्दगी का कुछ सफ़र अभी खड़ा है तनकर |
ख्याल भी न रखा की जिन्दगी का कुछ सफ़र अभी खड़ा है तनकर |
क़िबला तेरे
तसबुर तेरे हुस्न का माजी समझ न पाया |
क़िबला तेरे आशिक को ये माजरा न आया |
फनास्तुस की जिन्दगी का राज़ कुछ न पाया |
महबूबे हरम में आज में घुस न पाया |
क़िबला तेरे आशिक को ये माजरा न आया |
फनास्तुस की जिन्दगी का राज़ कुछ न पाया |
महबूबे हरम में आज में घुस न पाया |
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