इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म,
कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
सोमवार, 27 जून 2011
तेरी मुशकुराहट
तेरी मुशकुराहट और तेरी आखें, बात कुछ कह रहीं हैं |
तेर ओंठ और तेरी जुल्फें, बात कुछ कह रहीं हैं |
तेरा गठीला बदन और तेरे गालों की शोखी बात कुछ कह रही हैं |
तुझे नज़र न लग जाए, किसी की, शायद बात ये कुछ कह रहीं हैं |
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