चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 19 जून 2011
बेपनाह हुश्न
सौफदाई तेरी आखों की गुज़र गयी दिल के आर-पार |
बेपनाह हुश्न की मलिका आवाज़ तो सुना दे एक बार |
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