सोमवार, 20 जून 2011

तुझे हुश्न

तुझे हुश्न बक्शा खुदा ने और नजाकत भी दी है |
तेरी आवाज़ भी खुदा ने तुझे एक तोहफे में दी है |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें