चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
बुधवार, 29 जून 2011
बेरहम वक्त
बेरहम वक्त जुदा कर देता है, यादों के सहारे जीना है अब |
इस जिन्दगी का मकसद, तुझे फिर से अपनाना है तब |
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