शुक्रवार, 24 जून 2011

आवाज़ सुनी

आवाज़ सुनी है तेरी, जबसे |
भूल गया आलम को, तबसे |
जहाँ में कहूं मैं ये, किससे |
तभी तो कह रहा हूँ, तुझसे |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें