बुधवार, 30 नवंबर 2011

वो आखिरी लम्हा

वो आखिरी लम्हा,
आखें बंद हो रही थीं,
जिन्दगी थी तन्हा,
सासें मंद हो रही थीं,

गहरी-गहरी साँसों में,
लम्बी-लम्बी साँसों में,
सामने थी निगाहों में,
बंद होती धडकनों में,

इक-इक धड़कन,
तेरी राह तक रही थी,
इक-इक सांस,
तेरे नाम से चल रही थी,

पलकें ने बंद हुईं थीं,
बाट तेरी जोह रही थीं,
आँखें दरवाजे पर थीं,
बंद न हो रही थीं,

अकेले न थे, लोग वहाँ बहुत थे,
सब के सब बेचैन थे, भरे हुए नैन थे,

एक तेरा आना बाकी रहा था,
दिल अभी तक धड़क रहा था,
तेरे आने की आस कर रहा था,
इसी उम्मीद में धड़क रहा था,

तू बहुत दूर तो न रह रही थी,
फिर क्यूँ इतनी देर कर रही थी,
दिल की धड़कन छूट रही थी,
तेरे आने की उम्मीद न टूट रही थी,

आह तू आ गई, पर क्यूँ निगाह फेर गई,
पास तू आ मेरे, रख हाथों में हाथ मेरे,

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