जब वो लौट के आये, अपनी महफ़िल में,
तो अपनी महफ़िल भी बेगानी लगती थी,
चेहरे अलग लगते थे, मोहरे अलग लगते थे,
जाने पहचाने लोग भी, अचरज से घूरते थे,
क्या यह वह जगह थी, जो छोड़ कर गया था,
या फिर कोई और जगह, जहां मैं आ गया था,
इनसे भी दूर हो गया था, उनसे भी दूर हो गया था,
मशगूल कहीं हो गया था, मशहूर पर हो गया था,
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तो अपनी महफ़िल भी बेगानी लगती थी,
चेहरे अलग लगते थे, मोहरे अलग लगते थे,
जाने पहचाने लोग भी, अचरज से घूरते थे,
क्या यह वह जगह थी, जो छोड़ कर गया था,
या फिर कोई और जगह, जहां मैं आ गया था,
इनसे भी दूर हो गया था, उनसे भी दूर हो गया था,
मशगूल कहीं हो गया था, मशहूर पर हो गया था,
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