रविवार, 11 दिसंबर 2011

कुछ उसने न कहा

कुछ उसने न कहा, कुछ मैंने न बयाँ किया,
दिल की दिल में रख ली, बात यूँ समझ ली,

दोनों की धड़कन एक हुई, दोनों की रिदम एक हुई,
दोनों के दिल रुक से गए, दोनों बात समझ से गए,

धक्-धक् तेज़ होती गई, जिन्दगी एक होती गई,
इधर बेचैन होता गया, वो उधर बेचैन होती गई,

मिलने की तमन्ना तेज़ होने लगी, तेज़ी से भागने लगी,
सामने से उसे आता देखा, अपने को उसमे समाता देखा,

मिला सुकून उनको, दोनों निहाल हो गए,
बाज़ार में, दोनों के किस्से मशहूर हो गए,

मजमाँ बाज़ार में लग गया, हैरत से सब देखने लगे,
किसके नौनिहाल हैं, एक-दूसरे से पूछने-पाछने लगे,

सबकी नज़र उस ओर हुई, टकटकी पुरजोर हुई,
दुनिया से बेखबर, धीरे-से कदम बढ चले राह पर,

.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें