चंद्रमुखी चौटाला -
इस शायर को कुछ और न समझ लेना,
वो खुदा की इबादत करता है, उसे अपना न समझ लेना,
उसकी शायरी बनते-बनते बन जाती है,
इबादत गहरी होती जाती है, शायरी खुद-ब-खुद उतरती आती है,
जज्बातों को उसने दिल ही दिल में समेट लिया है,
बस चन्द लफ़्ज़ों में बयाँ जज्बातों को कर दिया है,
मंजिल-ए-आखिर उसकी कहीं और है,
आपकी अदाकारी में खुदा की डोर है,
जिन्दगी के हालात से दूर, अपनी जिन्दगी में ही रहता है,
तन्हाई में खुदा में खोया रहता है,
.
इस शायर को कुछ और न समझ लेना,
वो खुदा की इबादत करता है, उसे अपना न समझ लेना,
उसकी शायरी बनते-बनते बन जाती है,
इबादत गहरी होती जाती है, शायरी खुद-ब-खुद उतरती आती है,
जज्बातों को उसने दिल ही दिल में समेट लिया है,
बस चन्द लफ़्ज़ों में बयाँ जज्बातों को कर दिया है,
मंजिल-ए-आखिर उसकी कहीं और है,
आपकी अदाकारी में खुदा की डोर है,
जिन्दगी के हालात से दूर, अपनी जिन्दगी में ही रहता है,
तन्हाई में खुदा में खोया रहता है,
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