चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
बुधवार, 6 अप्रैल 2011
मातम
मातम न मना,
ओ प्यार मेरे,
देख अभी मैं जिन्दा हूँ,
रुखसत न हुआ,
अभी जनाजा मेरा,
इंतज़ार है,
तेरी वफ़ा का मुझे,
.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें