चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
रविवार, 17 अप्रैल 2011
इन्तहां इतनी
इश्क की इन्तहां इतनी न होती तो शायद हर कोई इश्क कर लेता |
इश्क का मज़मून तो पहले समझ तो शायद हर कोई इश्क कर लेता |
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