चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
बुधवार, 20 अप्रैल 2011
नज्मदार
नज़्म मैं क्या सुनाऊँ, कोई नजम्दार मिलता नहीं |
बज़्म मैं क्या बजाऊँ, कोई बज़म्दार मिलता नहीं |
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