रविवार, 17 अप्रैल 2011

अक्श में

अक्श में न देख अपने हुस्न को, तेरे हुस्न को तेरी ही नज़र न लग जाए |
निगाहें बता रहीं रही हैं तेरे गुरुर को, तेरा ही गुरुर तुझे न खा जाए |

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