चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
शनिवार, 24 दिसंबर 2011
हर फिजा से कह
हर फिजा से कह चुके जो, उसे उसको न कहना था,
जिन्दगी गुज़र चुकी जो, उसे अपनी न कहना था,
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