इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
जद्दोजहद की कशमश में,
जिन्दगी की रवानियाँ गईं ।
यही इसकी, यही उसकी,
हम सबकी कहानियाँ भईं ।
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