रविवार, 13 अक्टूबर 2013

कोई तूफान

कोई तूफान,
उठते-उठते,
ठहर गया,

कोई मन्जर,
निकलते-निकलते,
रुक गया,

कोई कुछ,
कर गया,
कोई कुछ,
कर गया,

धड़कते दिल,
से अरमा निकल गया,
वो गया,
वो गया,

है आदिल

है आदिल का आएना वो, नब-ए-निज्बत से पूछ ले तू,
कहने को तो जिन्दगी है, हर हाल में जी ले तू,

श्रुति सेठ - 1

श्रुति सेठ,

तू कबसे आ गयी, तेरा ही इंतज़ार बहुत देर से था,
तेरे बिन सब सूना था, तेरे बिन सब बोर सा था,

तू अब आ गयी, शो में बहार छा गयी है,
एक ताजगी आ गयी, तू तो बहुत समां गयी है,

तेरे इस अंदाज़ का, कबसे इंतज़ार था,
तेरी इस आवाज़ को, दिल सुनने को बेकरार था,

तेरा आना बहुत अच्छा लगा, यह शो बहुत सुंदर लगा,
तेरा यह दीवाना, बहुत खुश होने लगा,

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