इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
आगे से ख्याल है,
भी नहीं कोई मलाल का,
जिन्दगी को बेनियात,
किया किसी मकाल का ।
….……
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