रूहों के साये
रूहों के साये,
कभी साथ नहीं छोड़ते ।
अपनी मौजूदगी के,
एहसासों से खुदको जोड़ते ।
रोंगटे खड़े हो जाते,
जब आस.......पास रूहों के साये होते ।
जहन को झनझना जाते,
जब रूहों के साये जिस्म में
समा जाते ।
हो अहसास किसी की मौजूदगी का,
उसके जिस्म के जाने के बाद ।
वही तो साये रूहों के,
जो किसी और को नजर नहीं आते ।
रूहानियत का आलम यही है,
जिस्म के जाने के बाद भी,
अपनों का ख्याल रखती है ।
रूह से रूह को पकड़े रखती है ।
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