चन्द इशहार
इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुरुवार, 7 जुलाई 2011
दिल हो
दिल हो जाता है बेचैन |
अब नहीं रहता अमन चैन |
आरजू करूँ, इल्तजा करूँ |
तेरे प्यार की खातिर क्या करूँ |
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