इश्क में हारे हुए के, चन्द जख्म, कुरेदते रहते हैं, न लगाते मरहम,
गुमराह न कर उम्मीदों को, आस इस दिल में रहने दे । अभी तो झलक मिली है, कुछ तो दिल की कहने दे ।
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